Jan 15, 2019

शिव लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम



  सदाशिव


गणपति ध्यानं 




शुक्लाम्बरधरं  विष्णुं  शशिवर्नाम चतुर्भुजं

प्रसन्नवदनं ध्यायेत सर्वा विघ्नोपशंताये !  


ब्रह्ममुरारीसुरार्चितलिङ्गम  निर्मलाभासितशोभितलिङ्गम | 

जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गम  तत  प्रणमामि  सदाशिवलिङ्गम | | १ | 


देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गम कामदहन करुणाकरलिङ्गम

रावणदर्पविनाशनलिङ्गम  तत  प्रणमामि  सदाशिवलिङ्गम | २ | 



सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गम  बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम

सिद्धसूरासुरवन्दितलिङ्गम  तत  प्रणमामि  सदाशिवलिङ्गम | ३ |



कनकमहामणिभूषितलिङ्गम  फणिपतिवेष्टित  शोभितलिङ्गम

दक्षसुयज्ञ  विनाशनलिङ्गम तत  प्रणमामि  सदाशिवलिङ्गम | ४ | 


कुङकुमचन्दनलेपितलिङ्गम   पङकजहारसुशोभितलिङ्गम  | 

सञ्चितपापविनाशनलिङ्गम तत  प्रणमामि  सदाशिवलिङ्गम | ५ | 


देवगणार्चित सेवितलिङ्गम  भावैर्भक्तिभिरेव  च लिङ्गम  | 

दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गम  तत  प्रणमामि  सदाशिवलिङ्गम | ६ | 


अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गम  सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम  | 

अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गम तत  प्रणमामि  सदाशिवलिङ्गम  | ७ | 


सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गम  सुरवनपुष्प सदार्चितलिङ्गम  | 

परात्परं  परमात्मकलिङ्गम  तत  प्रणमामि  सदाशिवलिङ्गम  | ८ | 


लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत शिवसन्निधौ   |   

शिवलोकमावप्रोति शिवेन सह मोदते  ||






सदाशिव लिङ्गा 

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