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Feb 1, 2021

लक्ष्मीनृसिंह करावलम्ब स्तोत्रम्

 श्रीमत्पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणे भोगीन्द्रभोगमणिराजित पुण्यमूर्ते |

योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धिपोत लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 1 ‖

ब्रह्मेन्द्र रुद्रम रुदर्क किरीट कोटि सङ्घट्टिताङ्घ्रि कमलामल कान्ति कान्त |

लक्ष्मीलसत्कुच सरोरुह राजहंस लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 2 ‖

संसारदावदहनाकरभीकरोरु-ज्वालावलीभिरतिदग्ध तनूरुहस्य |

त्वत्पाद पद्म सरसीरुह मागतस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 3 ‖

संसार जालपतिततस्य जगन्निवास सर्वेन्द्रियार्थ बडिशाग्र झषोपमस्य |

प्रोत्कम्पित प्रचुरतालुक मस्तकस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 4 ‖

संसार कूमपतिघोरमगाधमूलं सम्प्राप्य दुःख शतसर्प समाकुलस्य |

दीनस्य देव कृपया पदमागतस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 5 ‖

संसार भीकर करीन्द्र कराभिघात निष्पीड्यमानवपुषः सकलार्तिनाश |

प्राण प्रयाण भवभीति समाकुलस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 6 ‖

संसार सर्पविषदिग्धमहोग्रतीव्र दंष्ट्राग्रकोटिपरिदष्टविनष्टमूर्तेः |

नागारिवाहन सुधाब्धिनिवास शौरे लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 7 ‖

संसारवृक्षबीजमनन्तकर्म-शाखायुतं करणपत्रमनङ्गपुष्पम् |

आरुह्य दुःखफलितः चकितः दयालो लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 8 ‖

संसारसागरविशालकरालकाल नक्रग्रहग्रसितनिग्रहविग्रहस्य |

व्यग्रस्य रागनिचयोर्मिनि पीडितस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 9 ‖

संसार सागरनिमज्जनमुह्यमानं दीनं विलोकय विभो करुणानिधे माम् |

प्रह्लादखेदपरिहारपरावतार लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 10 ‖

संसारघोरगहने चरतो मुरारे मारोग्रभीकरमृगप्रचुरार्दितस्य |

आर्तस्य मत्सरनिदाघसुदुःखितस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 11 ‖

बद्ध्वा गले यमभटा बहु तर्जयन्त कर्षन्ति यत्र भवपाशशतैर्युतं माम् |

एकाकिनं परवशं चकितं दयालो लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 12 ‖

लक्ष्मीपते कमलनाभ सुरेश विष्णो यज्ञेश यज्ञ मधुसूदन विश्वरूप |

ब्रह्मण्य केशव जनार्दन वासुदेव लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 13 ‖

एकेन चक्रमपरेण करेण शङ्ख-मन्येन सिन्धुतनयामवलम्ब्य तिष्ठन् |

वामेतरेण वरदाभयपद्मचिह्नं लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 14 ‖

अन्धस्य मे हृतविवेकमहाधनस्य चोरैर्महाबलिभिरिन्द्रियनामधेयैः |

मोहान्धकारकुहरे विनिपातितस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 15 ‖

प्रह्लादनारदपराशरपुण्डरीक-व्यासादि भागवत पुङ्गवहृन्निवास |

भक्तानुरक्त परिपालन पारिजात लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ‖ 16 ‖

लक्ष्मीनृसिंहचरणाब्जमधुव्रतेन स्तोत्रं कृतं शुभकरं भुवि शङ्करेण |

ये तत्पठन्ति मनुजा हरिभक्तियुक्ता-स्ते यान्ति तत्पदसरोजमखण्ड रूपम् ‖ 17 ‖