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Feb 28, 2020

महालक्ष्म्यष्टकम

॥ महालक्ष्म्यष्टकम ॥

नमस्तेऽस्तु महामायेश्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्तेमहालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥१॥
नमस्ते गरुडारूढेकोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देविमहालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥२॥
सर्वज्ञे सर्ववरदेसर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदुःखहरे देविमहालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥३॥
सिद्धिबुद्धिप्रदे देविभुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रमूर्ते सदा देविमहालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥४॥
आद्यन्तरहिते देविआद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूतेमहालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥५॥
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रेमहाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देविमहालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥६॥
पद्मासनस्थिते देविपरब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥७॥
श्वेताम्बरधरे देविनानालङ्कारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥८॥
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रंयः पठेद्भक्तिमान्नरः।
सर्वसिद्धिमवाप्नोतिराज्यं प्राप्नोति सर्वदा॥९॥
एककाले पठेन्नित्यंमहापापविनाशनम्।
द्विकालं यः पठेन्नित्यंधनधान्यसमन्वितः॥१०॥
त्रिकालं यः पठेन्नित्यंमहाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यंप्रसन्ना वरदा शुभा॥११॥


॥ इति श्री महालक्ष्मीस्तव ॥

Jan 18, 2019

अष्टलक्ष्मि स्तोत्रम



आचमनः

ॐ अच्युताया नमः  / स्वाहा !
ॐ अनन्ताय नमः  /  स्वाहा !
ॐ गोविन्दाय नमः  / स्वाहा !

गणपति ध्यानं 


शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्नाम चतुर्भुजं
प्रसन्नवदनं ध्यायेत सर्वा विघ्नोपशंताये !  

ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः॥

आदिलक्ष्मि
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायनि, मञ्जुल भाषिणि वेदनुते । 

पङ्कजवासिनि देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते 

जय जयहे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 1 ॥



धान्यलक्ष्मि
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि, वैदिक रूपिणि वेदमये
क्षीर समुद्भव मङ्गल रूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।

मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते 

जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 2 ॥



धैर्यलक्ष्मि
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्र स्वरूपिणि मन्त्रमये
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते । 

भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधु जनाश्रित पादयुते 

जय जयहे मधु सूधन कामिनि, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 3 ॥



गजलक्ष्मि
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये 

रधगज तुरगपदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते । 

हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणि पादयुते 
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ॥ 4 ॥


सन्तानलक्ष्मि
अयिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारधि लोकहितैषिणि, सप्तस्वर भूषित गाननुते ।

सकल सुरासुर देव मुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते 

जय जयहे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 5 ॥



विजयलक्ष्मि
जय कमलासिनि सद्गति दायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर, भूषित वासित वाद्यनुते । 

कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्करदेशिक मान्यपदे 

जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 6 ॥



विद्यालक्ष्मि
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये
मणिमय भूषित कर्णविभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे ।

नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते 

जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ॥ 7 ॥



धनलक्ष्मि
धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमि, दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम, शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते ।

वेद पूराणेतिहास सुपूजित, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते 

जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम् ॥ 8 ॥



फलशृति
श्लो॥ 

अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि । 

विष्णुवक्षः स्थला रूढे भक्त मोक्ष प्रदायिनि ॥

श्लो॥ 

शङ्ख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः ।

जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलं शुभ मङ्गलम् ॥



कमला  महाविद्या

एकाक्षरी  मंत्र  - श्रीं ||

द्वाक्षरी मंत्र स्ह्क्ल्रीं हं || 

त्रैक्षरी मंत्र  - श्रीं क्लीं श्रीं  || 

नमः कमलवासिन्यै  स्वाहा ||  

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