Feb 28, 2020

आरती श्री रामचन्द्रजी

॥ आरती श्री रामचन्द्रजी ॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,हरण भवभय दारुणम्।
नव कंज लोचन, कंज मुख करकंज पद कंजारुणम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि,नव नील नीरद सुन्दरम्।
पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचिनौमि जनक सुतावरम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
भजु दीनबंधु दिनेशदानव दैत्य वंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनन्द कन्द कौशलचन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
सिर मुकुट कुंडल तिलकचारू उदारु अंग विभूषणम्।
आजानुभुज शर चाप-धर,संग्राम जित खरदूषणम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
इति वदति तुलसीदास,शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कंज निवास कुरु,कामादि खल दल गंजनम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
मन जाहि राचेऊ मिलहिसो वर सहज सुन्दर सांवरो।
करुणा निधान सुजानशील सनेह जानत रावरो॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
एहि भांति गौरी असीससुन सिय हित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनिमुदित मन मन्दिर चली॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
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नामरामायणम्

नामरामायणम् 
॥बालकाण्डः॥

शुद्धब्रह्मपरात्पर राम्॥१॥
कालात्मकपरमेश्वर राम्॥२॥
शेषतल्पसुखनिद्रित राम्॥३॥
ब्रह्माद्यामरप्रार्थित राम्॥४॥
चण्डकिरणकुलमण्डन राम्॥५॥
श्रीमद्दशरथनन्दन राम्॥६॥
कौसल्यासुखवर्धन राम्॥७॥
विश्वामित्रप्रियधन राम्॥८॥
घोरताटकाघातक राम्॥९॥
मारीचादिनिपातक राम्॥१०॥
कौशिकमखसंरक्षक राम्॥११॥
श्रीमदहल्योद्धारक राम्॥१२॥
गौतममुनिसम्पूजित राम्॥१३॥
सुरमुनिवरगणसंस्तुत राम्॥१४॥
नाविकधावितमृदुपद राम्॥१५॥
मिथिलापुरजनमोहक राम्॥१६॥
विदेहमानसरञ्जक राम्॥१७॥
त्र्यम्बककार्मुकभञ्जक राम्॥१८॥
सीतार्पितवरमालिक राम्॥१९॥
कृतवैवाहिककौतुक राम्॥२०॥
भार्गवदर्पविनाशक राम्॥२१॥
श्रीमदयोध्यापालक राम्॥२२॥

राम् राम् जय राजा राम्।
राम् राम् जय सीता राम्॥
॥अयोध्याकाण्डः॥

अगणितगुणगणभूषित राम्॥२३॥
अवनीतनयाकामित राम्॥२४॥
राकाचन्द्रसमानन राम्॥२५॥
पितृवाक्याश्रितकानन राम्॥२६॥
प्रियगुहविनिवेदितपद राम्॥२७॥
तत्क्षालितनिजमृदुपद राम्॥२८॥
भरद्वाजमुखानन्दक राम्॥२९॥
चित्रकूटाद्रिनिकेतन राम्॥३०॥
दशरथसन्ततचिन्तित राम्॥३१॥
कैकेयीतनयार्थित राम्॥३२॥
विरचितनिजपितृकर्मक राम्॥३३॥
भरतार्पितनिजपादुक राम्॥३४॥

राम् राम् जय राजा राम्।
राम् राम् जय सीता राम्॥
॥अरण्यकाण्डः॥

दण्डकवनजनपावन राम्॥३५॥
दुष्टविराधविनाशन राम्॥३६॥
शरभङ्गसुतीक्ष्णार्चित राम्॥३७॥
अगस्त्यानुग्रहवर्धित राम्॥३८॥
गृध्राधिपसंसेवित राम्॥३९॥
पञ्चवटीतटसुस्थित राम्॥४०॥
शूर्पणखार्तिविधायक राम्॥४१॥
खरदूषणमुखसूदक राम्॥४२॥
सीताप्रियहरिणानुग राम्॥४३॥
मारीचार्तिकृदाशुग राम्॥४४॥
विनष्टसीतान्वेषक राम्॥४५॥
गृध्राधिपगतिदायक राम्॥४६॥
शबरीदत्तफलाशन राम्॥४७॥
कबन्धबाहुच्छेदक राम्॥४८॥

राम् राम् जय राजा राम्।
राम् राम् जय सीता राम्॥
॥किष्किन्धाकाण्डः॥

हनुमत्सेवितनिजपद राम्॥४९॥
नतसुग्रीवाभीष्टद राम्॥५०॥
गर्वितवालिसंहारक राम्॥५१॥
वानरदूतप्रेषक राम्॥५२॥
हितकरलक्ष्मणसंयुत राम्॥५३॥

राम् राम् जय राजा राम्।
राम् राम् जय सीता राम्॥
॥सुन्दरकाण्डः॥

कपिवरसन्ततसंस्मृत राम्॥५४॥
तद्‍गतिविघ्नध्वंसक राम्॥५५॥
सीताप्राणाधारक राम्॥५६॥
दुष्टदशाननदूषित राम्॥५७॥
शिष्टहनूमद्‍भूषित राम्॥५८॥
सीतावेदितकाकावन राम्॥५९॥
कृतचूडामणिदर्शन राम्॥६०॥
कपिवरवचनाश्वासित राम्॥६१॥

राम् राम् जय राजा राम्।
राम् राम् जय सीता राम्॥
॥युद्धकाण्डः॥

रावणनिधनप्रस्थित राम्॥६२॥
वानरसैन्यसमावृत राम्॥६३॥
शोषितसरिदीशार्थित राम्॥६४॥
विभीषणाभयदायक राम्॥६५॥
पर्वतसेतुनिबन्धक राम्॥६६॥
कुम्भकर्णशिरच्छेदक राम्॥६७॥
राक्षससङ्घविमर्दक राम्॥६८॥
अहिमहिरावणचारण राम्॥६९॥
संहृतदशमुखरावण राम्॥७०॥
विधिभवमुखसुरसंस्तुत राम्॥७१॥
खस्थितदशरथवीक्षित राम्॥७२॥
सीतादर्शनमोदित राम्॥७३॥
अभिषिक्तविभीषणनत राम्॥७४॥
पुष्पकयानारोहण राम्॥७५॥
भरद्वाजादिनिषेवण राम्॥७६॥
भरतप्राणप्रियकर राम्॥७७॥
साकेतपुरीभूषण राम्॥७८॥
सकलस्वीयसमानत राम्॥७९॥
रत्नलसत्पीठास्थित राम्॥८०॥
पट्टाभिषेकालङ्कृत राम्॥८१॥
पार्थिवकुलसम्मानित राम्॥८२॥
विभीषणार्पितरङ्गक राम्॥८३॥
कीशकुलानुग्रहकर राम्॥८४॥
सकलजीवसंरक्षक राम्॥८५॥
समस्तलोकाधारक राम्॥८६॥

राम् राम् जय राजा राम्।
राम् राम् जय सीता राम्॥
॥उत्तरकाण्डः॥

आगतमुनिगणसंस्तुत राम्॥८७॥
विश्रुतदशकण्ठोद्भव राम्॥८८॥
सीतालिङ्गननिर्वृत राम्॥८९॥
नीतिसुरक्षितजनपद राम्॥९०॥
विपिनत्याजितजनकज राम्॥९१॥
कारितलवणासुरवध राम्॥९२॥
स्वर्गतशम्बुकसंस्तुत राम्॥९३॥
स्वतनयकुशलवनन्दित राम्॥९४॥
अश्वमेधक्रतुदीक्षित राम्॥९५॥
कालावेदितसुरपद राम्॥९६॥
आयोध्यकजनमुक्तिद राम्॥९७॥
विधिमुखविबुधानन्दक राम्॥९८॥
तेजोमयनिजरूपक राम्॥९९॥
संसृतिबन्धविमोचक राम्॥१००॥
धर्मस्थापनतत्पर राम्॥१०१॥
भक्तिपरायणमुक्तिद राम्॥१०२॥
सर्वचराचरपालक राम्॥१०३॥
सर्वभवामयवारक राम्॥१०४॥
वैकुण्ठालयसंस्थित राम्॥१०५॥
नित्यानन्दपदस्थित राम्॥१०६॥

राम् राम् जय राजा राम्॥१०७॥
राम् राम् जय सीता राम्॥१०८॥

राम् राम् जय राजा राम्।
राम् राम् जय सीता राम्॥

॥इति नामरामायणम् सम्पूर्णम्॥

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शिवाष्टकं

ॐ नमः शिवाय !

शिवाष्टकं 

प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजां |
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे || 1 ||

गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणेशादि पालं |
जटाजूट गङ्गोत्तरङ्गैर्विशालं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे || 2||

मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम् |
अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे || 3 ||

वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम् |
गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे || 4 ||

गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम् |
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे || 5 ||

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोज नम्राय कामं ददानम् |
बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे || 6 ||

शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् |
अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे || 7 ||

हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारं|
श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे || 8 ||

स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणे पठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नं |
सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रं विचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति || 

ॐ नमः शिवाय !

महागणेश पञ्चरत्न

ॐ नमः शिवाय!

गणपति ध्यानं 



शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजं

प्रसन्नवदनं ध्यायेत सर्व विघ्नोपशंताये !

महागणेश पञ्चरत्न

जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा पाहिमाम 
जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा रक्षामाम २  

मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकं |
कलाधरावतंसकं विलासिलोक रक्षकम् |
अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकं |
नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम् || 1 ||

जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा पाहिमाम 
जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा रक्षामाम २ 

नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरं |
नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्ढरम् |
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं |
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् || 2 ||

जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा पाहिमाम 
जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा रक्षामाम २ 

समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्य कुञ्जरं |
दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम् |
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं |
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् || 3 ||

जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा पाहिमाम 
जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा रक्षामाम २ 

अकिञ्चनार्ति मार्जनं चिरन्तनोक्ति भाजनं |
पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम् |
प्रपञ्च नाश भीषणं धनञ्जयादि भूषणं |
कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम् || 4 ||

जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा पाहिमाम 
जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा रक्षामाम २ 

नितान्त कान्ति दन्त कान्ति मन्त कान्ति कात्मजम् |
अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम् |
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां |
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् || 5 ||

जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा पाहिमाम 
जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा रक्षामाम २ 

महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं |
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् |
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां |
समाहितायु रष्टभूति मभ्युपैति सोऽचिरात् ||


जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा पाहिमाम 

जय गणेशा जय गणेशा जय गणेशा रक्षामाम ६  

ॐ नमः शिवाय!




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